गणित के पास नहीं है
जीवन के सवालों के हल
इसलिए अपने सवालों के साथ
बैठना किसी नदी के किनारे
या खो जाना किसी रेवड़ में
बीच सड़क पे नाचने में भी कोई उज्र नहीं
न जुर्म है आधी रात को
जोर से चिल्लाकर सोए हुए शहर की
नींद उखाड़ फेंकने में
बस कि खुद को पल-पल मरते हुए
मत देखना चुपचाप
अपना हाथ थामना जोर से
और जिंदगी के सीने पे रख देना
जीने की इच्छा का ताप
जिंदगी धमनियों में बहने लगेगी
आहिस्ता-आहिस्ता...